हँसि हसि बोलै बैन फकीरा
जग में ऊ प्राणी बड़भागी
जे जानै पर जन की पीरा
हँसि हँसि बोलै बैन फकीरा
आपन आन भेद ना जानै
सबही के अपनै अस मानै
ओकरी खातिर अंतर नाहीं
माटी सोना चानी हीरा
हँसि हँसि बोलै बैन फकीरा
खींच देत पानी पर रेखा
भइया देख सका तै देखा
मुट्ठी में बयार बान्हैला
तोहँऊ चीर सका तै चीरा
हँसि हँसि बोले बैन फकीरा
घोर अघोर सोर से हटके
पीछे ताकै नाहिं पलट के
मगन रहै अपनै में हरदम
कबहूँ मीरा कबहुँ कबीरा
हँसि हँसि बोलै बैन फकीरा
तजि के सब बंधन सुख माया
साधि साधि कई निरमल काया
झंखै ओकरी मस्ती आगे
वैभव रतनन भरल जखीरा
हँसि हँसि बोलै बैन फकीरा